This is the poem I have written. I am dedicating this poem to all those LGBT people who are fighting for their freedom and right!
मै पंछी हु आजाद आसमान का
मुझे इन बन्दिशोंके पिँजरोंमे मत बांधो
मै बना हूँ खुले आसमानमें अपने पर फ़ैलाने
इन पैरोंको मत काटो बंधू
शरद्की ठंडी हवाओंजैसे
काट रहे है मेरे पर भयके समीर
कभी भरा हुवा था मेरी खुशियोंका पुष्प पुंज
अब बस रह गया है पेड़ पतझड़ का
मत छीनो मेरी आजादी
नहीं घातक यह तुम्हारे प्रति
वर्षोंकी ग्रीष्मपीड़ाके बाद
अब जा के आई थी मेरी वर्ष पहली
मै पंछी हु आजाद आसमान का
मुझे इन बन्दिशोंके पिँजरोंमे मत बांधो भाई
जियो और जीने दो सबको
चलो लाये इस धरती पर खुशिया और शांति
मै पंछी हु आजाद आसमान का
मुझे इन बन्दिशोंके पिँजरोंमे मत बांधो
मै बना हूँ खुले आसमानमें अपने पर फ़ैलाने
इन पैरोंको मत काटो बंधू
शरद्की ठंडी हवाओंजैसे
काट रहे है मेरे पर भयके समीर
कभी भरा हुवा था मेरी खुशियोंका पुष्प पुंज
अब बस रह गया है पेड़ पतझड़ का
मत छीनो मेरी आजादी
नहीं घातक यह तुम्हारे प्रति
वर्षोंकी ग्रीष्मपीड़ाके बाद
अब जा के आई थी मेरी वर्ष पहली
मै पंछी हु आजाद आसमान का
मुझे इन बन्दिशोंके पिँजरोंमे मत बांधो भाई
जियो और जीने दो सबको
चलो लाये इस धरती पर खुशिया और शांति
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